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Toggleपानी पीने का सही तरीका (Pani Peene Ka Sahi Tareeka)
दोस्तों, 99 % लोग नहीं जानते ,पानी पीने का सही तरीका , जल है तो जीवन है यह शाश्वत सत्य है, जल जीवन का आधार है जल के बिना जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती है।
जल के पर्यायवाची शब्द – जल को कई नामों से जाना जाता है पानी,नीर,सलिल,उदक,तोय,अंबु,जीवन,अमृत,वाटर यह सभी पानी के पर्यायवाची है।
दोस्तों रहीम जी दास जी ने क्या खूब कहा है –
“रहिमन पानी राखिए, बिन पानी सब सून ।
पानी गए न उबरे, मोती मानस चून”।।
रहीम दास जी ने पानी को बचाने की बात कही है और यह समझाने की कोशिश की हैं, पानी के बिना जीवन सूना है और पानी के ना रहने से मोती जिस तरह अपनी चमक खो देता है चूना सूख जाने के बाद बेकार हो जाता है उसी प्रकार आत्मसम्मान न रह जाने के बाद मनुष्य के जीवन का कोई अर्थ ही नहीं रह जाता है।
इस धरती पर अर्थात अर्थ पर 2/3 भाग यानी 67% जल है जोकि महासागर में पाया जाता हैं, पृथ्वी पर जल ग्लेशियर में वर्ष के रूप में मौजूद हैं; पृथ्वी पर संपूर्ण जल का 97 % पानी खारा है केवल 1% ही पानी पीने योग्य है जोकि कुआं, नदियों, तालाबों, ट्यूबवेल्स ,हैंडपंप, झीलों, और पोखरो में पाया जाता है।
दोस्तों हमारा शरीर भी पांच तत्वों से मिलकर बना है, “छिति जल पावक गगन समीरा” अर्थात- पृथ्वी, जल,अग्नि,आकाश,हवा जिसमें जल का सबसे अहम रोल है हमारे शरीर में क्योंकि संपूर्ण शरीर का 2/3 भाग अर्थात 67% पानी से बना है और 1/3 भाग हमारे शरीर में ठोस (Solid) होता है। इसीलिए यह जानना आवश्यक हो जाता है कि पानी का हमारे शरीर में क्या रोल है।
दोस्तों बिना भोजन के कोई कितने दिन जीवित रह सकता है आप ही सोचिए 3 दिन, 7 दिन या 10 दिन अधिकतम 40 दिन तक कोई व्यक्ति बिना भोजन के जीवित रह सकता है यह एक रिकॉर्ड है परंतु बिना पानी के 1 दिन रहना कितना मुश्किल होता है यह उन महिलाओं से पूछो जो करवा चौथ वह कजरी तीज का व्रत रहती है। इसीलिए पानी को अमृत भी कहा जाता है।
दोस्तों हमारे शरीर में हमारी छोटी-छोटी आदतों का बहुत गहरा असर पड़ता है इसीलिए यह जानना बहुत जरूरी हो जाता है कि पानी पीने का सही तरीका क्या है? हमारे समाज में 99 % लोग नहीं जानते ,पानी पीने का सही तरीका,क्या है ज्यादातर लोगों को यही नहीं पता होता है पानी हमें कैसे पीना चाहिए ,कब पीना पीना ,चाहिए क्यों पीना चाहिए पानी हमारे शरीर के लिए कितना आवश्यक क्यों है पानी का हमारे शरीर में क्या रोल है शरीर में पानी की कमी को कैसे पता लगाएंगे ,एक बार में कितना पानी पीना चाहिए और एक दिन में कुल कितना पानी पीना चाहिए इन सभी बातों का डिटेल में इस लेख में मैं जिक्र करने वाला हूं।
पानी इतना जरूरी क्यों है ?-(Importance of Water) ?
- डाइजेशन कि्या की मेटाबॉलिक एक्टिविटी बिना पानी के संभव ही नहीं होती।
- Body Temperature को मेंटेन करने में पानी का बहुत महत्वपूर्ण योगदान होता है मनुष्य समतापी प्राणी है वातावरण में जब मौसम विपरीत होता है खासकर गर्मी में शरीर से पसीना निकलता है और तापमान को कंट्रोल करता है।
- लार बनाने में पानी का बहुत ही महत्वपूर्ण योगदान होता है क्योंकि लार में 99%पानी होता है और 1% एंजाइम होता है जिससे हमारी डाइजेशन क्रियाएं कंट्रोल होती है।
- हमारे शरीर से Waste Material और टॉक्सिन को बाहर निकालने में पानी का महत्वपूर्ण योगदान होता है।
- पानी एक Good Salvent की तरह काम करता है जिसमें खुलकर मिनरल विटामिन एंजाइम शरीर के विभिन्न भागों तक पहुंचाए जाते हैं।
- डिहाइड्रेशन की समस्या पानी से ही दूर की जा सकती है क्योंकि हमारे शरीर से पानी हमेशा लाश होता रहता है इसीलिए हमें समय-समय पर पानी लेना आवश्यक हो जाता है।
शरीर में पानी की कमी को कैसे पता लगाएं-(How does know Deficiency of water in the Body) ?
- जब हमें बहुत तेज प्यास लगती है और हमारी जुबान सूखने लगती है और एठने लगती है तो हमें एहसास होता है हमारे शरीर में पानी की कमी हो गई है।
- जब हमारे शरीर में सुस्ती और थकान महसूस होती है तो हमारे शरीर में पानी की कमी हो सकती है।
- जब हम पेशाब करने जाएंगे तो उसका पेशाब का रंग हल्का गाढ़ा और पीले रंग का होगा और उसमें बदबू भी बढ़ जाए और पेशाब कम आए तो समझ जाना चाहिए शरीर में पानी की कमी हो गई है।
- पानी की कमी से मुंह से दुर्गंध भी आना शुरू हो जाती है जो लंबे समय तक पानी कम पीते हैं उन लोगों में ऐसी समस्याएं अक्सर देखने को मिलते हैं यह Indigestion क्रिया का संकेत भी हो सकता है।
- त्वचा रूखी बेजान व ढीली पड़ जाती है यह शरीर में पानी की कमी के मुख्य संकेत हैं।
एक दिन में कितना पानी पीना चाहिए और एक बार में कितना-(Ek din me Kitna pani Peena Chahiye)?
- यह अलग-अलग परिस्थितियों मौसम और वजन पर डिपेंड करता है कि हमें 1 दिन में कितना पानी पीना चाहिए फिर भी एक स्वस्थ व्यक्ति जिस की औसत लंबाई व वजन 5 फुट 6 इंच और वजन 65 से 70 Kg .है तो उन्हें कुल 3 से 4 लीटर पानी पीना चाहिए लगभग 12 से 14 गिलास पर्याप्त होता है।
- गर्मियों के मौसम में यही 5 से 6 लीटर तथा सर्दियों में 2.5 से 3 लीटर पानी लेना पर्याप्त हो जाता है।
- वैसे महिलाओं को पुरुषों की तुलना में कम पानी की जरूरत होती है परंतु गर्भावस्था व स्तनपान कराने वाली महिलाओं को एक्स्ट्रा पानी लेना चाहिए।
- एक बार में अधिकतम एक गिलास पानी का सेवन करना चाहिए लगभग 250 से 300 ML पानी पर्याप्त होता है, परंतु सुबह खाली पेट दो से तीन गिलास धीरे-धीरे गुनगुना पानी जरूर सेवन करना चाहिए जिसके बहुत ही अद्भुत और आश्चर्य कर देने वाले परिणाम दिखाई देंगे हमारे स्वास्थ्य पर।
पानी कब और कैसे पिए- (Pani Kab Aur Kaise Piye ) ? -
- वैसे पानी हमें जब भी प्यास लगती है हम पानी पी लेते हैं परंतु पानी पीने का सही तरीका यदि हम अपनाते हैं तो इसके आश्चर्यजनक परिणाम देखने को मिलेंगे।
- सबसे पहले सुबह उठकर बासी मुंह दो से तीन गिलास गुनगुना पानी जरूर पीना चाहिए।
- स्नान करने के बाद एक गिलास पानी जरूर पीना चाहिए जिससे हमारे शरीर का ब्लड प्रेशर कंट्रोल करने में मदद मिलती है।
- भोजन करने से 40 मिनट पहले और 40 मिनट बाद एक गिलास पानी जरूर पी लेना चाहिए ।
- Exercise करने के 15 से 20 मिनट पहले और एक्सरसाइज करने के 20 मिनट बाद पानी जरूर पीना चाहिए बीच में जरूरत पड़े तो थोड़ा सा पानी ले सकते हैं आवश्यकतानुसार।
- हर घंटे में एक गिलास पानी जरूर पीना चाहिए ।
पानी कैसे पिए-(Pani Kaise piye) ?
- पानी हमेशा कुकड़ू बैठकर पिए जिन्हें घुटनों की समस्या हो वह कुर्सी या तखत पर बैठकर घुट घुट कर धीरे-धीरे पीना चाहिए ।
- खड़े होकर पानी पीने से घुटने कमजोर हो जाते हैं और जल्दी ही जोड़ों की समस्याएं शुरू हो सकती है।
- पानी हमेशा गिलास या लोटे में मुंह लगाकर पीना चाहिए।
- पानी कभी भी प्लास्टिक की बोतल में पीने से बचें और पानी बोतल में मुंह ऊपर करके पीने से बचें ऐसा करने से पेट में पानी के साथ वातावरण की दूषित गैंसे अंदर चली जाती है जिससे डाइजेशन क्रिया में व्यवधान उत्पन्न हो सकता है और नई बीमारियों को जन्म दे सकता है।
हमें पानी कब पीना चाहिए (Hame Pani Kab Peena Chahiye) ?
- भोजन करते समय या बाद में तुरंत पानी नहीं पीना चाहिए यह सुनने में आश्चर्यजनक लगता होगा परंतु प्रैक्टिकली यह संभव है।
- एक्चुअली होता क्या है जब हम भोजन करते समय पानी पी लेते हैं तो आमाशय में जो जठराग्नि जल रही होती है भोजन को डाइजेस्ट करने के लिए वह पानी पी लेने से मंद पड़ जाती है, जिससे भोजन डाइजेस्ट होने में ज्यादा समय लग जाता है और आंतों में भोजन ज्यादा समय तक रुकता है परिणाम स्वरूप भोजन सड़ने लगता है और तरह-तरह की गैसे व विषाक्त केमिकल या रसायन बनने लगते हैं ।
- यह गैसे विभिन्न प्रकार की बीमारियों को जन्म देते हैं जैसे जोड़ों की समास्याएं, किडनी स्टोन बना, पेट में गैस बनना ,ऐसिडिटी, ब्लड प्रेशर, शुगर, अपच, हाइपरटेंशन जैसी गंभीर बीमारियां हो जाती हैं।
- रात को उठकर पानी पीने से बचें ऐसा करने से हमें पेशाब बार बार जाना पड़ता है और हमारी नींद में विघ्न पड़ता है और हमारी शारीरिक क्रियाओं में उथल-पुथल शुरू हो जाती है जिससे स्वास्थ्य पर गलत असर पड़ता है।
- फल खाने के बाद पानी पीने से बचें जैसे टमाटर, खीरा , तरबूज, केला ,अनार, संतरा इन में पर्याप्त मात्रा में पानी होता है इनको लेने के बाद पानी पीने से परहेज करें।
- गर्म चाय, काफी ,सूप के बाद पानी नहीं पीना चाहिए जिससे दांतों व मसूड़ों में होने वाली तकलीफो से बचा जा सकता है।
- ठंडा पानी कभी नहीं पीना चाहिए खासकर बर्फ का पानी इससे स्वास्थ्य पर बहुत ही गंभीर परिणाम दिखाई देते हैं।
हमें किस तरह का पानी पीना चाहिए (Hame Kis Tarah ka Pani Peene Chahiye)?
- अब बात आती है हमें पानी किस तरह का पीना चाहिए दोस्तों कोशिश करें पानी स्वच्छ व साफ हो मीठा हो इसके लिए आप एक बाल्टी पानी में फिटकरी की एक डली को हाथ में लेकर दो से तीन बार पानी के अंदर घुमा दे जिससे पानी के अंदर की अशुद्धियां बाल्टी की तह में बैठ जाएंगी और पानी पीने योग्य स्वच्छ हो जाएगा।
- सुबह उठकर बासी मुंह यानी खाली पेट गुनगुना पानी जरूर पिएं और शाम को भी गुनगुना पानी खासतौर से सर्दियों में जरूर लेना चाहिए जिससे स्वास्थ्य पर बहुत ही बेहतरीन लाभ दिखाई देते हैं।
- जब बहुत ज्यादा गर्मी पड़ रही हो तो मटके का पानी यानी घड़े का पानी पीना चाहिए घड़े में अद्भुत शक्ति होती है यदि पानी में मिनरल कम होते हैं तो वह उसमें मिनरल को बढ़ा देता है और यदि पानी में मिनरल्स ज्यादा होते हैं तो वह मिनरल को कम कर देता है यह वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित भी हो चुका है।
- ठंडा पानी या बर्फ का पानी पीने से बचे हैं क्योंकि मनुष्य समतापी प्राणी है अर्थात मनुष्य के शरीर का तापमान एक समान 37 डिग्री सेल्सियस बना रहता है जब बर्फ का पानी पीते हैं तो वह लगभग 10 डिग्री सेंटीग्रेड होता है जिसको पहले बॉडी टेंपरेचर पर लाने में शरीर को एक्स्ट्रा एनर्जी खर्च करनी पड़ती है ।
- तब वह शारीरिक क्रियाओं के काम में आने योग्य होता है जिससे डाइजेशन क्रिया Slow हो जाती है और हमारी आतें सिकुड़ने लगती हैं जिससे मल हार्ड हो जाता है और कब्ज की समस्या को जन्म देता है ।
- भोजन आंतों में ज्यादा समय तक रुकने से सड़न पैदा होने लगती है और विभिन्न प्रकार की गैसे बनने लगती हैं जिससे शरीर में विभिन्न प्रकार की गंभीर बीमारियां पैदा होने लगती हैं इसीलिए ठंडा यानी बर्फ का पानी पीने से परहेज करना चाहिए ।
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Conclusion (आप ने क्या सीखा )
आजकल यह एक आम आदत बन गई है ठंडा पानी पीने की इसीलिए लोग ज्यादा से ज्यादा बीमारियों की तरफ बढ़ रहे हैं जबकि चिकित्सा जगत ने बहुत तरक्की कर ली फिर भी बीमारियां लगातार बढ़ती ही जा रही हैं उसका सिर्फ एक ही कारण है मेरे दृष्टि में वह है ठंडा पानी पीना,और पानी पीने का सही तरीका ,जो आज के समय में युवा सबसे ज्यादा कोल्ड ड्रिंक ठंडा पानी पी रहा है जिससे गंभीर बीमारियां पैदा हो रही है तो दोस्तों ठंडा पानी से परहेज करें जितना हो सके ,यदि स्वस्थ रहना है तो हमें यह एक बात गांठ बांध लेना है कि हमें ठंडा पानी नहीं पीना है तो दोस्तों यह लेख आपको कैसा लगा कमेंट में जरूर बताएं यदि आपको थोड़ी सी भी वॉल्यूम मिली हो तो इस लेख को अपने दोस्तों तक शेयर भी करें |
लेख को अंत तक पढ़ने के लिए धन्यवाद |
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सर आपने बहुत ही अच्छी जानकारी रिसर्च करके आपने दिये है। मुझे हेल्थ के बारे जागरूक करने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद।
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